बेंगलुरू । बाधाएं आती हैं आएं, घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों में हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना होगा. हास्य-रूदन में, तूफानों में, अपमानों में, सम्मानों में, पीड़ाओं में पलना होगा. कदम मिलाकर चलना होगा. सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, प्रगति चिरंतन कैसा इति अब, सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, असफल, सफल समान मनोरथ, कदम मिलाकर चलना होगा…ये पंक्तियों देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हैं । भले ही चंद्रयान -2 के मामले में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पूरी तरह से सफल नहीं रहा हो लेकिन उसने पूर्व प्रधानमंत्री की भाषा में कहें तो हार नहीं मानी है। फिर उसने अपने ध्येय पथ यानी कि चंद्रयान -3 की तैयारियां शुरु कर दी हैं।
इस संबंध में मिली सूत्रों की जानकारी बताती है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), ने चंद्रयान -3 पर नवंबर 2020 की समय सीमा के साथ काम शुरू किया है। इसके लिए इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन की टीम ने अपने सामने एक वर्ष का आगामी लक्ष्य रखा है । उल्लेखनीय है कि डॉ. शिवन अभी भी नहीं मानते हैं कि चंद्रयान-2 कहीं से भी असफल रहा ।
वे कहते रहे हैं कि लैंडर का नियंत्रण केंद्र से संपर्क टूट जाने के बावजूद चंद्रयान मिशन लगभग शत-प्रतिशत सफल रहा है और गगनयान समेत भविष्य का कोई भी मिशन आज की घटना के कारण प्रभावित नहीं होगा। मिशन में दो तरह के लक्ष्य थे – एक वैग्यानिक लक्ष्य दो ऑर्बिटर द्वारा पूरे किये जाने हैं और दूसरा प्रौद्योगिकी प्रदर्शन जिनमें लैंडर की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग तथा रोवर की सतह पर चहलकदमी शामिल है। उन्होंने कहा ,“वैग्यानिक प्रयोग पूरी तरह सफल रहे हैं जबकि प्रौद्योगिकी प्रदर्शन में हम 95 प्रतिशत तक सफल हुये। इस प्रकार मैं समझता हूँ कि चंद्रयान मिशन लगभग शत-प्रतिशत सफल रहा है।”
अब चंद्रयान -3 की तैयारियों को लेकर इसरो से जानकारी मिली है कि इसके लिए कई नई समितियों का गठन किया गया है । जिसमें कि एक समग्र पैनल और तीन उप-समितियां खास हैं । चंद्रयान -3 के नए मिशन में केवल एक लैंडर और रोवर शामिल किया जाएगा, क्योंकि अभी भी चंद्रयान -2 ऑर्बिटर अच्छी तरह से काम कर रहा है।
एक वैज्ञानिक ने बताया कि हम सभी पूरे उत्साह ने नए प्रोजेक्ट पर लग गए हैं । काम पूरे प्रवाह में है। अब तक इसरो ने मिशन के 10 विशिष्ट पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर लिया है, जिसमें लैंडिंग साइट का चयन, पूर्ण नेविगेशन और स्थानीय नेविगेशन शामिल हैं। वहीं, एक अन्य वैज्ञानिक ने कहा कि नए मिशन के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता “लैंडर के पैरों को मजबूत करना” है, ताकि यह उच्च वेग के साथ भी उतर सके। इसरो एक नया लैंडर और एक रोवर का निर्माण भी करेगा।