सहारनपुर: गेहूं की अच्छी पैदावार के लिये मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस साल गेहूं की उपज तमाम कारणों से कम हुई है और इसका सीधा असर सरकारी खरीद पर पड़ा है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर मंडल में सरकारी क्रय केंद्रों पर अभी तक केवल पांच फीसदी गेहूं की खरीद की जा सकी है। यह पिछले एक दशक में अभी तक की सबसे खराब स्थिति है।
मंडलीय खाद्य विपणन विभाग के प्रभारी और सहारनपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आशीष कुमार ने बुधवार को बताया कि सहारनपुर मंडल में अभी तक केवल पांच फीसदी गेहूं की खरीद सरकारी केंद्रों पर हुई है। कुमार ने कहा कि इस साल सहारनपुर मंडल में गेहूं की खरीद का लक्ष्य 1.98 लाख मीट्रिक टन है। जबकि, मंडल में अभी तक केवल 10.35 हजार मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदा गया है। गेहूं की सरकारी खरीद 15 जून तक चलेगी।
सहारनपुर जिले में इस बार गेहूं के क्षेत्रफल में 800 एकड़ की कमी आई थी। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा. इंद्र कुमार कुशवाहा ने बताया कि किसानों ने इस साल रबी की फसल में गेहूं के बजाय सरसों को प्राथमिकता दी। इस कारण सहारनपुर जिले में गेहूं की पैदावार में गिरावट आई। मौसम के लिहाज से भी तापमान में इजाफे के कारण गेहूं का दाना बारीक बना। बाजार में गेहूं की कम आवक के कारण उसके भाव 2040 से 2050 रूपए प्रति क्विंटल हो गए।
सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2015 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया हुआ है। देवबंद के एक बड़े आढ़ती प्रदीप कुमार बंसल ने बताया कि बाजार में गेहूं के फुटकर दाम सरकारी खरीद केंद्रों से प्रति क्विंटल 25 से 35 रुपये तक ज्यादा हैं। प्रदीप बंसल ने कहा कि निजी क्षेत्र की मंडियों में भी गेहूं की आवक पिछले साल की तुलना में काफी कम हो रही है।
उन्होंने कहा कि किसानों ने अपनी क्षमता के अनुसार गेहूं का भंडारण कर लिया है। किसानों को लगता है कि आने वाले समय में बाजार में गेहूं की किल्लत होने से उन्हें गेहूं के ऊंचे दाम मिल सकते हैं।
सहारनपुर जिले में 92 क्रय केंद्रों के जरिए गेहूं की खरीद हो रही है। गेहूं की सरकारी खरीद इस बार एक अप्रैल से शुरू हुई थी जो 15 जून तक चलेगी लेकिन आमतौर से गेहूं के सरकारी क्रय केंद्र सूने पड़े हैं। गेहूं के इस संकट का बाजार और गेहूं उपभोक्ता दोनों पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ने वाला है। सरकारी राशन की दुकानों के जरिए अभी तक गरीबों को निःशुल्क गेहूं वितरित किया जा रहा था।
