संघर्ष जीवन का अभिभाज्य अंग है, जिसे अलग नही किया जा सकता है।
कोरोना के पहले वास्तविकता अलग थी, और आज की वास्तविकता अलग है।
यही संघर्ष को अलग अलग लोग अलग दृष्टि से देखते है, उसे फेस करते है।
संघर्ष के प्रति उनकी दृष्टि और दृष्टिकोण उन्हें अलग बनाती है। इसलिए एक ही परिस्थिति में , कोई निखर जाता है, कोई फिसल जाता है और कोई बिखर जाता है ।
यह वक्त बिखरने का नही ,
बल्कि निखरने का है।
टूटने का नही ,
रिकॉर्ड तोड़ने का है।
हारने का नही ,
हराने का है।
दुख के आंसू नही,
खुशी के आंसू बहाने का है।
यह वक्त फिसलने का नही
बल्कि संभलने का है
अपने विश्वास- आस्था को
मजबूत बनाने का है
यह वक्त निखरने का है …
हम सब एक हैं, एक जैसे है फिर अलग अलग क्यों हो गए। उत्तर है हमारा दृष्टिकोण। यही हमे या तो साधारण बनाते है या असाधारण बना देते है।
यही कोरोना में कुछ निखर गए तो कुछ बिखर गए। वक्त अभी भी हैं। अपने दृष्टिकोण को बदल दो। जितना हो सके उसे सकारात्मक और समझ बढाने के लिए विकसित करें।
याद रखे संघर्ष का दौर हमेशा रहेगा। कोरोना की लहर पर लहर आ रही है। पहली लहर और तीसरी लहर में हम ने असंभव को संभव कर दिखाया। चमत्कार पर चमत्कार कर दिखाया।
आपका निखारना या बिखरना सिर्फ और सिर्फ आपके विचार और विश्वास पर टिका है। सछि विश्वास, विचार, और व्यवहार से यह आप कर सकते है।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरु
मुम्बई
8007179747