एक ” नए दौर ” का अस्त
एक बेहरीन अदाकारी और व्यक्तित्व का सूर्यास्त। मुगल ए आजम, राम श्याम, नया दौर, गंगा जमुना, देवदास जैसे बेहतरीन सिनेमा का असली कलाकार के इंटरव्यू में कहे गए उनके शब्द और उनके भावार्थ को समझने का प्रयास।
-“दिखावटी पन से दूर रहो”.
भले ही सिनेमा इंडस्ट्री दिखावटीपन और ग्लैमरस से भरा हुआ है। फिर भी आपको अपना ऑरिजिनल बनने से किसने रोका है। आप जो हो वह बन कर रहो। दुनिया आपको कुछ भी समझे लेकिन आपको पता होना चाहिए आप कौन हो। दिलीप साहब कोई दंभी या मुखोटा लगाए नही रहते, वह वही बने जो थे।
-“मैं नहीं मानता कि आपको हर किसी से बेहतर बनना है। मेरा मानना है कि आपको जितना आपने सोचा था उससे बेहतर होना चाहिए।”
आपकी प्रतिस्पर्धा आपके साथ है। कोई और नही आप ही हो। आपने आप को रोज बेहतर बनाते रहो। जो रंग मिल रहा है, जो साथ, जो काम मिल रहा है उसमें 100 प्रतिशत देते रहे। आपको रोज बेहतर बनना है। आप जो भी काम करते हो पढ़ाई, नौकरी, बिजनेस, कला, या हाऊस वाइफ आपको बेहतरीन बनना है।
-“जीवन में हम जिन चीजों की इच्छा रखते हैं उनमें से अधिकांश महंगी होती हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि जो चीजें हमें वास्तव में संतुष्ट करती हैं वे बिल्कुल मुफ्त हैं: प्यार, खुशी और हंसी।”
इंसान को जीने जे लिए जो चाहिए वह सस्ती है और मुफ्त भी।अपने आप से संतुष्ट रहे। आगे बढ़ते रहे लेकिन संतुष्टि के साथ। प्रेम, आनंद और शांति ही आपका असली स्वभाव है। जो मुफ्त में है उसका भरपूर इस्तेमाल कीजिये। यही आपके जीवन को यादगार बनाता है। माफ करे और प्रेम बाटें।
-“हर दिन एक नयी शुरुआत होती हैं। हर दिन खुद को बेहतर और बेहतर साबित करने, कुछ अच्छा करने और खुद को लायक साबित करने का मौका देता है।”
हर दिन एक नई शुरुवात है। मौका है, अवसर है। खुद को रोज नए रूप में ढाले। जीवन आपको रोज़ नया मौका बेहतर और बेहतर बनने का मौका देती है। खुद को नए रूप में ढालने में मेहनत करते रहे। समस्या तो रोज आते है लेकिन उस समस्या में चुनौती में अवसर को मिस न करें।
– “मुझे मृत्यु से जीवन की ओर, और असत्य से सत्य की ओर ले चलो; मुझे निराशा से आशा की ओर, भय से विश्वास की ओर ले चलो; मुझे घृणा से प्रेम की ओर, युद्ध से शान्ति की ओर ले चलो; शांति हमारे दिल, हमारी दुनिया, हमारे ब्रह्मांड को भर दे।”
आपके शब्द आपकी दुनिया है । आप क्या मांगते हो, क्या चाहते हो। बुद्ध ने भी कहा है इंसान विचारो से निर्मित प्राणी है जैसा सोचेगा, जो प्रार्थना करेगा वही उसे मिलेगा। दिलीप साहब के इस पंक्ति में जीवन से महा जीवन को यात्रा का संदेश है।
– “अपने जुनून को जिंदा रखो।”
आपका पैशन को अपना प्रोफ़ेशन बनाओ।
भले ही यह दिग्गज कलाकार का प्रारंभिक जीवन काफी नीरस था। कॉलेज से स्नातक होने के तुरंत बाद, मुंबई के क्रॉफर्ड मार्केट में फल व्यापारियों के उनके परिवार काम करता। यूसुफ साहब को जल्दी से नौकरी ढूंढनी थी। 17 वर्षीय ने एक ब्रिटिश आर्मी क्लब, पुणे के वेलिंगडन क्लब में एक सैंडविच स्टॉल स्थापित किया। पहले से ही एक भावुक रसोइया थे। इन सब के बावजूद उन्होंने अपने पैशन और जुनून को जिंदा रखा।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरु
मुम्बई