23 नवंबर , विशाल इंडिया/इंदौर/ मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में मालवा निमाड़ अंचल की जहां 66 सीटों पर जनता की राय भोपाल की राजगद्दी के दावेदारों का फैसला करने में सबसे अहम होगी। इस अंचल में किसानों और खेती को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के दावों -प्रतिदावों की असल परीक्षा हाेनी है।
राज्य के पश्चिमी एवं दक्षिण-पश्चिमी भाग के 15 जिलों में कृषि भूमि अत्यंत ऊर्वर है और यहां के किसान देश के सर्वाधिक जागरूक एवं समृद्ध किसानों में गिने जाते हैं। लेकिन इस क्षेत्र में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की ज़मीन भी काफी उपजाऊ होने के कारण चुनावी बयार की दिशा अंतिम क्षणों में ही साफ हो पाएगी।
निमाड़ अंचल में खंडवा, खरगौन, बुरहानपुर और बड़वानी जिले आते हैं जिनमें 16 विधानसभा सीटें हैं। इन 16 सीटों में से 11 पर भाजपा ने जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस महज 5 सीट ही जीत पाई थी। मालवा के 11 जिलों में 50 सीटों में से 45 पर भाजपा जीती थी जबकि कांग्रेस केवल चार सीटें ही जीत पाई थी। केवल थांदला सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी जो बाद में भाजपा में शामिल हो गया था।
मालवा-निमाड़ अंचल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) के कैडर की अच्छी खासी पकड़ है। संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी सहित संघ के कई बड़े अधिकारी भी मालवा अंचल से ताल्लुक रखते हैं। भाजपा के ज्यादातर दिग्गज नेता इसी क्षेत्र से आते हैं। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष दिवंगत कुशाभाऊ ठाकरे, पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सखलेचा, कैलाश जोशी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत पूर्व मंत्री सत्यनारायण जटिया, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, पूर्व मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी यहीं से हैं।
कांग्रेस की ओर से आदिवासी नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, दिवंगत पूर्व उप मुख्यमंत्री जमुनादेवी, सज्जन सिंह वर्मा, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव महेन्द्र जोशी, पूर्व मंत्री बाला बच्चन, सुभाष सोजतिया आदि है। उज्जैन के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू के कांग्र्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थामने से वहां के समीकरण पर असर पड़ा है। कांग्रेस के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी मालवा निमाड़ क्षेत्र में काफी प्रभाव है।
