दिलशाद अब्बास विशाल इण्डिया।
अम्बेडकरनगर। सम्मनपुर थाना क्षेत्र के मछली गांव स्थित इमामबारगाह हुसैनिया वली अस्र में गुरुवार को मरहूम सैय्यद फज़ल मेहदी की मजलिस ए सय्यूम का आयोजन शोसल डिस्टेंस के साथ किया गया। मजलिस को लखनऊ से आये शिया धर्मगुरु मौलाना सैय्यद हैदर अब्बास रिज़वी डायरेक्टर हादी टीवी ने खिताब करते हुए फरमाया की कर्बला सिर्फ दास्तान ए ग़म नहीं बल्कि एक पैग़ाम है। कर्बला वालों के पाक लहू ने पूरी दुनिया के इंसानों को अल्लाह की मारेफ़त का सबक़ सिखाया, नैतिकता, तहज़ीब और इस्लामी वैल्यूज़ को बचा लिया, कर्बला वालों ने ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की हिम्मत दी, हक़ और बातिल के बीच दीवार उठाई। कर्बला इतिहास का इकलौता ऐसा हादसा है जिसके बारे में जितना विचार करें उतनी ही हैरत और उतना ही आश्चर्य बढ़ता जाता है, हर साल कर्बला बयान होती है लेकिन इंसान को न ही इससे थकन का एहसास होता है न ही कर्बला पुरानी लगती है, बल्कि हर साल पूरी दुनिया में जगह जगह कर्बला की दास्तान और उसका पैग़ाम सुनने और सुनाने के इंतेज़ाम बढ़ते जा रहे हैं, हर साल लोगों में कर्बला का पैग़ाम सुनने के लिए बेचैनी पहले से बढ़ती दिखाई देती है, और उसके पीछे जो राज़ है वह यह कि कर्बला हक़ और बातिल की ऐसी जंग का नाम है जिससे इंसान को इंसान बनने की सीख मिलती है, इससे इंसान को सहनशीलता, प्रतिरोध, सब्र, बहादुरी, ग़ैरत, इज़्ज़त, सच्चाई, अमानत, शराफ़त, वफ़ादारी और बलिदान की बेहतरीन मिसाल मिलती है, इंसानी इतिहास में जितनी ताज़गी कर्बला की दास्तान को मिली किसी को भी नहीं मिली, सन् 61 हिजरी में पेश आने वाला यह हादसा आज भी तारीख़ के दिल में ज़िंदा हक़ीक़त बन कर इंसान के दिलों को ज़िंदा रखे हुए है, मौलाना ने पूरी मजलिस कर्बला और पैग़ाम ए इमाम ए हुसैन अलैहिस्सलाम पर कुरआन व हदीस के साये मे पेश किया। अंत मे मौलाना ने जनाबे सकीना स० का मसाएब पढ़ना शुरू किया तो मजलिस मे मौजूद मोमनीन की आँखे नम हो गई। मजलिस का आयोजन मरहूम के बेटे माहिर अब्बास की जानिब से किया गया। अंत मे मौलाना सैय्यद नूरुल हसन रिज़वी ने अपने चचा जात भाई की मजलिस मे आये हुए सभी धर्म गुरुओं व मोमनीन का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।