तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के एफओईसीएस की ओर से उद्यमिता पर ऑनलाइन फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम,बीस से अधिक देश के नामचीन शिक्षविदों और उद्यमियों ने साझा किए अपने अनुभव
ख़ास बातें
एफडीपी में देशभर के 200 फैकल्टी ने शिरकत
एफडीपी का मकसद फैकल्टी को उद्यमी बनाने में मदद करना: प्रो. अग्रवाल
टीएमयू के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह बोले,उपलब्धि,शक्ति और संबद्धता को पहचानें
प्रो. मित्तल बोले,ऑनलाइन एफडीपी आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी
तकनीकी उद्यमिता एक प्रौद्योगिकी उद्यम शुरू करने से जुड़े अवसरों और चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए की गई डिज़ाइन : डॉ. चौहान
डॉ. सतीश सिंह ने उद्यमिता में इंक्यूबेटर्स के रोल को सहजता से समझाया
डॉ. रजत अग्रवाल ने कॉपीराइट और पेटेंट को लेकर डाला विस्तार से प्रकाश
डॉ. विवेक श्रीवास्तव ने सौर मंडल के अपने अनुभव किए साझा
टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा बोले, कोविड काल में एफओईसीएस ने लर्निंग के नए द्वार
एसोसिएट डीन डॉ. मंजुला जैन के उद्यमिता की आर्थिक विशेषताओं को समझाया
प्रो. आरके द्विवेदी बोले, सफलता के लिए खुद पर विश्वास जरूरी
तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, के फ़ैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड कम्प्यूटिंग साइंसेज़ -एफओईसीएस में राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड (एनएसटीईडीबी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से प्रायोजित उद्यमिता पर दो सप्ताह तक ऑनलाइन संकाय विकास कार्यक्रम में फैकल्टी को उद्यमिता की सघन ट्रेनिंग दी गई। इस वर्चुअली एफडीपी का उदघाटन एनबीए के अध्यक्ष एवम् जीजीएसआइपी यूनिवर्सिटी के फाउंडर वीसी प्रो.के के अग्रवाल ने बतौर मुख्य अतिथि किया। इनके अलावा भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान, चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके मित्तल, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून के निदेशक डॉ प्रकाश चौहान, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर एचएजी के प्रोफेसर एसएन सिंह, आईआईटी, रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो.एस के घोष के संग संग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति के 20 से अधिक प्रतिष्ठित अतिथि वक्ताओं, शिक्षाविदों और उद्योगों से आईं विभिन्न हस्तियों ने शिरकत की। इस ऑनलाइन एफ़डीपी में पूरे भारत से 200 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए।
एफडीपी में मुख्य अतिथि प्रो. के.के. अग्रवाल ने कहा कि इस प्रोग्राम का मकसद युवाओं को करियर के विकल्प के रूप में उद्यमिता लेने के लिए प्रेरित करना है। एफडीपी के जरिए उद्यमशीलता विकास, संचार और पारस्परिक कौशल, रचनात्मकता, समस्या को सुलझाने के संग संग उपलब्ध संसाधनों, उद्यमशीलता के सभी पहलुओं की प्रक्रिया और अभ्यास पर इनपुट प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण पद्धति में केस स्टडी, समूह चर्चा, सिमुलेशन अभ्यास, फील्ड विज़िट और कक्षा व्याख्यान शामिल हैं। प्रो. अग्रवाल का मानना रहा, इस एफडीपी के माध्यम से विश्वविद्यालय राष्ट्रव्यापी संकाय सदस्यों को नौकरी खोजने के बजाए उद्यमी बनाने में मदद करेगा।
तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने उद्यमिता की विभिन्न विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि उद्यमिता मूल्य का सृजन या निष्कर्षण है। प्रो. सिंह ने संज्ञानात्मक, भावात्मक और मनोप्रेरणा कौशल से संबंधित सिर, हृदय और हाथ के 3-एच संयोजन पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कारक अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि लोगों को प्रेरित करने के लिए केवल एक कारक पर्याप्त नहीं हो सकता। उपलब्धि अभिप्रेरणा व्यक्ति की 3 मूलभूत आवश्यकताओं पर निर्भर करती है – उपलब्धि, शक्ति और संबद्धता। इसे पहचानने की जरूरत है। उन्होंने मनी, मैन, मशीन, मटीरियल और मेथड का 5-एम फॉर्मूला भी दिया। प्रो. सिंह ने आगे कहा, उच्च उपलब्धि हासिल करने वाले व्यक्ति सही भावना के साथ सही दिशा में अपना काम करते हैं। हममें से कुछ लोग सफलता के पीछे यह नहीं देखते हैं कि सफलता पाने वाले को असफलताओं का सामना कैसे करना पड़ता है। उच्च उपलब्धि वाले लोग अपने जीवन में कभी शिकायत नहीं करते हैं। उनका कभी भी हार मानने वाला रवैया नहीं होता है। प्रो सिंह ने 3-एफ रणनीति का भी वर्णन किया – फाइट (लड़ाई), फ़्लाइट (उड़ान) और फ्राइट (भय)। सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने दिलचस्प तरीके से सवाल पूछे और प्रो. सिंह ने बहुत ही तार्किक बिंदुओं के साथ उनके संदेह को दूर किया।
तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के फाउंडर वीसी और चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आर.के. मित्तल ने कहा , यह ऑनलाइन एफडीपी “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के रूप में अपने अनुभव भी साझा किए। उन्होंने विश्वविद्यालय की विकास यात्रा में माननीय कुलाधिपति श्री सुरेश जैन की उद्यमशीलता की दृष्टि पर भी प्रकाश डाला।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून के निदेशक डॉ प्रकाश चौहान ने शहर मुरादाबाद के प्रति अपने लगाव को याद करते हुए कहा कि तकनीकी उद्यमिता एक प्रौद्योगिकी उद्यम शुरू करने से जुड़े अवसरों और चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए डिज़ाइन की गई है। हमारी पीढ़ी का सबसे बड़ा धन निर्माता और हमसे पहले हर पीढ़ी की मुख्य कारक प्रौद्योगिकी रही है। आज, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को नैनो प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और वेब प्रौद्योगिकी के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। पिछली पीढ़ियों में, इसे टेलीविजन और आंतरिक दहन इंजन के रूप में परिभाषित किया गया था। कई मामलों में, नवप्रवर्तक वह इकाई नहीं थी, जिसने इसे बाजार में पेश करने के लिए इसका आविष्कार किया था या इसे सबसे अच्छी स्थिति में रखा था।
आईईईई, उत्तर प्रदेश अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. सतीश सिंह ने उद्यमिता में इन्क्यूबेटरों की भूमिका को बहुत सरलता से समझाया । उन्होंने इन्क्यूबेटरों, ऊष्मायन और इनक्यूबेटियों और उनके अंतर्संबंधों को परिभाषित किया और कैसे प्रौद्योगिकी व्यवसाय इन्क्यूबेटर्स (टीबीआई) आर्थिक विकास के विकास में मदद करते हैं। उन्होंने बिजनेस इन्क्यूबेटर्स (बीआई), टेक्नोलॉजी इन्क्यूबेटर्स (टीआई और टीबीआई जैसे समानता और अंतर के साथ प्रत्येक शब्द का अर्थ बताया। उन्होंने राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड (एनएसटीईडीबी) की स्थापना और उद्देश्यों का संक्षेप में वर्णन किया। और यह कैसे टीबीआई के प्रमुख क्षेत्र को बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा, सोचिएगा… पेप्सी,एप्पल, प्रॉक्टर और गैंबल जैसी कंपनियों ने डिजाइन थिंकिंग आधारित नवाचार रणनीति का कैसे पालन किया है, जिन्होंने एस एंड पी 500 इंडेक्स को उत्कृष्ट 211 से अधिक किया है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की के प्रबंधन अध्ययन विभाग के प्रोफेसर डॉ. रजत अग्रवाल ने बताया कि कॉपीराइट स्वचालित रूप से आपके पास निहित अधिकारों का एक संग्रह है। यह भी समझाया, इन अधिकारों का उपयोग या लाइसेंस कैसे किया जा सकता है। इन अधिकारों में कार्य को पुन: पेश करने, व्युत्पन्न कार्य तैयार करने, प्रतियां वितरित करने, कार्य को सार्वजनिक रूप से करने और कार्य को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने का अधिकार शामिल है। पेटेंट कानून का प्राथमिक लक्ष्य तकनीकी प्रगति के नवाचार और व्यावसायीकरण को प्रोत्साहित करना है। पेटेंट कानून कुछ विशेष अधिकारों के बदले में आविष्कारकों को अपने आविष्कारों को सार्वजनिक रूप से प्रकट करने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक पेटेंट आविष्कारों की रक्षा करता है। इन आविष्कारों में नई और उपयोगी प्रक्रियाएँ, मशीनें, निर्माण, पदार्थ की रचनाएँ और साथ ही इनमें सुधार शामिल हो सकते हैं। कुछ कंप्यूटर प्रोग्राम पेटेंट और कॉपीराइट दोनों द्वारा संरक्षित विषय वस्तु के अंतर्गत आ सकते हैं। एक सेवा चिह्न एक शब्द, वाक्यांश, प्रतीक और या डिज़ाइन है, जो माल के बजाए किसी सेवा के स्रोत की पहचान करता है और उसे अलग करता है। उदाहरणों में ब्रांड नाम, स्लोगन और लोगो शामिल हैं। कॉपीराइट के समान, किसी व्यक्ति को सुरक्षा अधिकार प्राप्त करने के लिए ट्रेडमार्क या सेवा चिह्न पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है। ट्रेडमार्क और कॉपीराइट कानून के बीच शायद ही कभी ओवरलैप होता है, लेकिन यह हो सकता है, उदाहरण के लिए, जब एक ग्राफिक चित्रण का उपयोग लोगो के रूप में किया जाता है, तो डिज़ाइन को कॉपीराइट और ट्रेडमार्क दोनों के तहत संरक्षित किया जा सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली के रिसर्च एंड कंसल्टेंसी के डीन डॉ.विवेक श्रीवास्तव ने सौर मंडल की वास्तविकता के मूल्यांकन के बारे में अपने ज्ञान को साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे ऊर्जा की मांग में तेजी से वृद्धि और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग के परिणामस्वरूप पर्यावरणीय गिरावट की चिंताओं ने ऊर्जा उत्पादन के लिए अधिक वैकल्पिक स्रोतों की खोज के विकल्प खोल दिए हैं। निस्संदेह, सौर ऊर्जा को मुख्य अक्षय ऊर्जा स्रोत के रूप में माना जाता है और फोटोवोल्टिक प्रणाली के माध्यम से उत्पन्न बिजली में शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन पर शून्य निर्भरता होती है। हालांकि, सौर ऊर्जा का उपयोग विशेष रूप से कम सौर विकिरण की अवधि के दौरान विद्युत शक्ति के स्थिर प्रवाह को सुनिश्चित करने की चुनौती से ग्रस्त है। इसने सिस्टम डिजाइनरों को सौर फोटोवोल्टिक प्रणालियों के विश्वसनीयता पहलुओं को देखने का कारण बना दिया है। उन्होंने आगे कहा कि अनियमित बिजली आपूर्ति के प्रभाव को कम करने का एक तरीका एक भंडारण इकाई को शामिल करना है ताकि उच्च सौर विकिरण की अवधि के दौरान उत्पन्न अधिशेष ऊर्जा को उस अवधि के दौरान संग्रहीत और उपयोग किया जा सके।
इनके अलावा एफडीपी को इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली के प्रो. जैनुल ए जाफरी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार, एनसीसीबीएम, फरीदाबाद के आर एंड डी वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार दीक्षित के अलावा डॉ सतीश के सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद, प्रोफेसर रजत अग्रवाल, प्रोफेसर, आईआईटी रुड़की, डॉ विवेक श्रीवास्तव, डीन अनुसंधान एवं परामर्श, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली, डॉ. शक्ति कुमार निदेशक, पानीपत इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान, समालखा, हरियाणा, प्रो. जे. रामकुमार, प्रोफेसर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी, कानपुर, श्री विकास यादव, उप प्रबंधक एसबीआई, मुरादाबाद, डॉ सतीश कुमार, विप्रो लिमिटेड, बैंगलोर शहरी, कर्नाटक, भारत में प्रधान सलाहकार, श्री महेंद्र कुमार गुप्ता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एबीईएस इंजीनियरिंग कॉलेज, गाजियाबाद, डॉ गीता हेगड़े, डीन और निदेशक एस बिजनेस स्कूल, यूपीईएस, देहरादून, प्रो उषा बत्रा, एसोसिएट डीन, एसओईएस, जीडी गोयनका विश्वविद्यालय, श्री दिलीप तिवारी, इंजीनियरिंग सेवाओं में एडिट्स में वरिष्ठ सलाहकार आदि ने भी अपने – अपने सत्रों में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी और अनुभव साझा किए।
तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ आदित्य शर्मा ने एफडीपी को इतने प्रभावी तरीके से आयोजित करने के लिए प्रो. द्विवेदी को बधाई देते हुए कहा, “इस महामारी के दौरान, जब दुनिया अवसाद के गहरे समुद्र में डूब रही है, एफओईसीएस नई चीजें सीखने के नए रास्ते खोल रहा है”। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से, इस एफडीपी के दौरान सीखी गई चीजें जीवन में फलदायी होने वाली हैं क्योंकि इसे उद्यमिता विकास के क्षेत्र में संकाय सदस्यों को प्रशिक्षित करने और विकसित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया ताकि वे युवाओं को विशेष रूप से इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी स्ट्रीम के छात्रों को उद्यमिता को अपने करियर के रूप में लेने के लिए उनका मार्गदर्शन कर सकें।
तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय की एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन ने उद्यमिता की आर्थिक विशेषताओं के बारे में संबोधित करते हुए कहा कि उद्यमी कार्य-उन्मुख अत्यधिक प्रेरित व्यक्ति होते हैं , जो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जोखिम उठाते हैं। उन्होंने कहा कि एक उद्यमी उत्पादन के क्षेत्र में एक नए संयोजन का प्रर्वतक होता है। उद्यमी उद्यम का संस्थापक होता है ,जो उद्यम के संचालन के लिए अवसरों की पहचान करता है, कुशल जनशक्ति और आवश्यक संसाधनों को इकट्ठा करता है, व्यक्तियों और वित्तीय संस्थानों को आकर्षित करता है और उद्यम के सफलतापूर्वक प्रबंधन के लिए मनोवैज्ञानिक जिम्मेदारी लेता है। उन्होंने उद्यमियों के कई जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत किए।
एफओईसीएस के निदेशक एवं प्राचार्य प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने एफडीपी के सफलतापूर्वक पूरा होने पर कहा कि सफलता उन्हें मिलती है, जो खुद पर विश्वास करते हैं और जीतने के लिए तैयार रहते हैं। एफओईसीएस इसका प्रतीक है। यहां तक कि यह कोविड-19 महामारी भी उद्यमिता पर इस 2 सप्ताह के एफडीपी के आयोजन के हमारे उत्साह को कम नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि इस फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का आयोजन उद्यमिता के क्षेत्र में पेशेवरों को प्रशिक्षित और विकसित करने के उद्देश्य से किया गया ताकि वे युवा छात्र छात्राओं को शिक्षण, प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और प्रेरित करने में रिसोर्स पर्सन्स के रूप में कार्य कर सकें और वे उद्यमिता को करियर विकल्प के रूप में अपना सकें।
एफडीपी डॉ. गरिमा गोस्वामी, एचओडी, ईई के अलावा डॉ. पंकज कुमार गोस्वामी, डॉ. गुलिस्ता खान ,प्रो. आर. जैन, डॉ ज़रीन फारूक, डॉ अजय उपाध्याय, डॉ अशेंद्र सक्सेना, प्रो आरसी, त्रिपाठी, श्री नवनीत बिश्नोई, डॉ शक्ति कुंडू, डॉ राजीव कुमार, श्री नमित कुमार, सुश्री अनु शर्मा, डॉ मेघा शर्मा, प्रो एसपी पांडे, श्री नीरज कौशिक, डॉ रोहित सैनी, श्री हरीश कुमार, श्री अंकित शर्मा, डॉ दीपटोनिल, डॉ असीम अहमद, सुश्री नेहा आनंद, डॉ. सोनिया जयंत, सुश्री इंदु त्रिपाठी आदि की भी उपस्थिति रही।